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कविता-पुस्तक -25-Jul-2022

 कविता -पुस्तक
गले लगा लो उस पुस्तक को
जिसने बदल दिया तकदीर
एक नहीं हर जनम जनम 
तक पूजे जाते हैं तस्वीर 
पुस्तक नहीं यह ज्ञानदायिनी
भाग्य संवारे भाग्यवाहिनी
भरी खजाना हर पन्नें में
लूट सको तो ले लो लूट। 
मित्र सहेली बड़ी निराली
तन मन से हर लेती झूठ
जीवन के सपनों की आशा
रखती है विश्वास भरोसा
ध्वनि सिखाती खूब पढ़ाती
ध्वनि से बन जाती है भाषा
जीवन का अनमोल खजाना
ज्ञान बुद्धि की है परिभाषा
इतिहास यही विज्ञान यही है
देश विदेश का ज्ञान यही है
मात पिता की सपना है यह
जड़ चेतन संज्ञान यही है
बने वैज्ञानिक डाक्टर साहब
सपनों का भंडार यही है
यार दोस्त अपने अपनों का
सबका ही अरमान यही है 

रचनाकार -रामबृक्ष अम्बेडकरनगर 

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12 Comments

Madhumita

25-Jul-2022 06:26 PM

बहुत ही सुन्दर

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Khushbu

25-Jul-2022 04:52 PM

शानदार

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नंदिता राय

25-Jul-2022 03:57 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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